भगवान के समस्त नाम ,समस्त गुण,समस्त लीला,समस्त धाम ऐवम उनके समस्त भक्त परस्पर एक हैं। एक के प्रति दुर्भावना करना सभी के प्रति दुर्भावना करना है। समस्त महापुरुष ऐवम भगवान के समस्त अवतार भी परस्पर अभिन्न हैं। ऐसा तत्त्वज्ञान सदा के लिए हृदय में अंकित कर लेना चाहिए।
-----जगद्गुरुत्तम श्री कृपालुजी महाप्रभु.
-----जगद्गुरुत्तम श्री कृपालुजी महाप्रभु.
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