Friday, September 16, 2011

श्री महाराजजी समझाते है कि: संयोग और वियोग मेँ से वियोग बड़ा है ,संयोग मेँ तो प्रियतम एक ही स्थान पर दिखाई देता है ,जबकि वियोग मेँ त्रिभुवन मेँ दिखाई देता है । निष्कामता और वियोग के कारण ही गोपियाँ महाभाव तक पहुँच सकी।

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