Saturday, September 24, 2011


यदि कभी कोई जीव हमारे प्यारे श्री महाराजजी (जगद्गुरु श्री कृपालुजी महाराज) से गुरुमंत्र के लिए प्रेमाग्रह करता है तो मुसकुराते हुए जवाब देते हैं। हमारे विषय में तो सब जानते ही हैं कि ना चेला बनाता है, और ना बनाने देता हैं। हमारे खिलाफ़ है सारे बाबा लोग, चाहे वो कोई भी हो। इसलिए मेरे पास कोई मंत्र लेने के लिये सोचना भी नहीं। मुझे अपना बनाना है तो- सदा सर्वत्र हर श्वास के साथ 'राधा' नाम का जप करो।


क्षण क्षण हरि गुरु स्मरण में ही व्यतीत करो. पल पल मृत्यु की और बढ़ रहे हो और संसार में बेहोश हो. 


श्री महाराजजी के मुखारविंद से:
हम आप लोगों के सामने उतनी ही बात प्रकट करते हैं जितनी आप लोग समझ पाते हैं। कभी उससे थोड़ा अधिक भी प्रकट कर देते हैं। शेष जो रिजर्व रहती हैं,वह बहुत ज्यादा है। उसको यदि हम प्रकट भी करना चाहें तो उससे कोई मतलब हल होने वाला नहीं है।



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