Sunday, September 28, 2014

साधक को किसी से द्वेष भाव नहीं रखना चाहिये ! यदि हो जाये तो बार - बार उसका चिंतन न करे ! यदि है भी तो कथन में उसके सामने प्रकट न करे ! संसार में सब स्वार्थी हैं अतः इस विषय को लेकर किसी से द्वेष होना गलत है।
.........जगद्गुरु श्री कृपालु जी महाराज।

सदा यह चिन्तन बनाये रखो कि मुझे उनका जितना स्नेह , अनुग्रह मिल चुका है वही अनन्त जन्मों के पुण्यों से असम्भव है। अतएव पूर्ण प्राप्त स्नेह एवं अनुग्रह का चिन्तन करके बार - बार बलिहार जाओ।
~~~~~~जगद्गुरुत्तम श्री कृपालु जी महाप्रभु~~~~~~~

किसी को कभी किसी जन्म में श्रोत्रिय ब्रहमनिष्ठ महापुरुष गुरु मिल जाये और वह श्रद्धालु विरक्त जिज्ञासु उसे गुरु मान ले यह बहुत बड़ी भगवदकृपा है। गुरु शिष्य नहीं बनायेगा,शिष्य को मन से गुरु मानना होगा। कोई महापुरुष किसी जीव को शिष्य तब तक न बनायेगा जब तक उसका अंत:करण पूर्णतया शुद्ध न हो जायेगा।
-------जगद्गुरु श्री कृपालुजी महाप्रभु।

श्यामसुन्दर पर तुम्हारा इतना अधिकार है जितना अपने आप पर भी नहीं है। वे तुमसे इतना प्यार करते है जितना तुम अपने आप से भी नहीं करते।
.........जगद्गुरु श्री कृपालुजी महाप्रभु।

भगवान के समस्त नाम, समस्त गुण, समस्त लीला, समस्त धाम एवं उनके समस्त भक्त परस्पर एक हैं। एक के प्रति दुर्भाव करना सभी के प्रति दुर्भाव करना है। समस्त महापुरुष एवं भगवान के समस्त अवतार भी परस्पर अभिन्न हैं। ऐसा तत्त्वज्ञान सदा के लिए हृदय में अंकित कर लेना चाहिए।
-------श्री महाराजजी।

Saturday, September 27, 2014

रागी हो विरागी हो जाओ गुरूधामा।
वहाँ मिले सबको ही प्रेम श्याम श्यामा।।

ragi ho viragi ho jaye gurudhama.
vahan mile sabko prem shyam shyama.

The Guru is so benevolent thet he distributes the nectar of divine love to everyone who goes to him, whether it be a completely detached person or a engrossed in worldly pleasures.
Shyama Shyam Geet (109)
-Jagadguru Shri Kripaluji Maharaj.
Radha Govind Samiti.

The Rig Ved says this. "Oh, human beings, learn to cry! Shed tears and call out to Him - that's it! He will be standing before you."
........SHRI MAHARAJ JI.

संसार की भक्ति करते रहे हैं अब तक,लेकिन अब भगवान की ही भक्ति करनी है,क्योंकि संसार में आत्मा का सुख नहीं है,भगवान में ही है।
...........श्री महाराजजी।

जो नींद में सो रहा हो उसे जगाया जा सकता है। किन्तु जो सोने का बहाना कर रहा हो , ईश्वर से विमुख होकर विषय भोग में लिप्त रहने में ही अपना भला समझे , उसे कौन समझा सकता है।
.........जगद्गुरु श्री कृपालु जी महाराज।

ALbeli Sarkaar Ki Jai Radha Rani Ki Jai.....!!!
Jagadguru Kripalu Parishat donates Two Crores for J&K Relief Fund.....!!!!!
New Delhi. Deeply aggrieved by the mega floods responsible for wreaking havoc and devastation across Srinagar and most parts of south Kashmir that has left several thousands traumatised, Jagadguru Kripalu Parishat has donated Rupees Two Crores to the Prime Minister’s Relief Fund for the relief and rehabilitation work in the devastated state of Jammu & Kashmir.
The representatives of Jagadguru Kripalu Parishat (JKP), a charitable organisation founded by the late renowned spiritual leader Jagadguru Shri Kripalu Ji Maharaj, handed over the draft of Rupees Two Crores to BJP President Amit Shah at BJP Headquarters in the national capital. The representatives of JKP also conveyed deep condolences expressed by Dr Vishakha Tripathi, President of JKP and Dr Shyama Tripathi and Dr Krishna Tripathi to the victims and their families on this massive destruction of human life and the heartbreaking devastation in the state of J&K. A message from Dr. Vishakha Tripathi, President of JKP urging the victims to have courage and unshakeable faith in god, and praising the Indian Army for their valiant efforts in rescuing people was also passed on to the BJP Chief.
Amit Shah thanked JKP and Dr Vishakha Tripathi for the contribution and said that J&K has suffered a major loss of human lives and property and it needed help from all quarters. He said that the amount donated by JKP would give succor to a lot of people who have seen the worst.
Jagadguru Kripalu Parishat (JKP), founded by Jagadguru Shri Kripalu Ji Maharaj, the 5th original Jagadguru of this age, has been working tirelessly since the last 60 years for the welfare of humanity. In the past, the Parishat donated an amount of Rs. 1 Crore for the victims of Uttarakhand disaster, Rs. 10 Lacs for the aid of Bhuj Earthquake victims in the year 2001, Rs. 25 Lacs for Tsunami victims in 2004 and Rs. 2 Crore for Bihar flood victims in 2008. Jagadguru Kripalu Parishat also carries out various spiritual, philanthropic and humanitarian activities in order to serve the general public. Two fully functional multi-disciplinary hospitals have been established, and both provide thousands of poor villagers medical treatment and medicines completely Free of charge. A secular educational Institution is being financed and run by JKP, which provides underprivileged girls Free Education upto post graduation level.

वे हमें अपना बनावें चाहे न बनावें, इसकी हमें चिन्ता नहीं ।
हम सदा उन्हें अपना बनाए रहेंगे बस यही निश्चय रहे ।

------जगद्गुरु श्री कृपालु जी महाप्रभु।

Life doesn't always work the way you want it to. Accept it as it comes instead of getting angry and disturbed. Think if the Lord is happy to see me in this condition then I should be happy.

Don’t think that Krishn is Almighty Supreme God Who is not easily accessible to common souls. He is just yours.
-------SHRI MAHARAJJI.

संसार में किसी पर भी विश्वास नहीं करो, किन्तु 'वास्तविक गुरु' की वाणी पर सेंट-परसेंट विश्वास कर लो।

"सौंप दो इनके हाथों में डोरी, यह कृपालु हैं तंग दिल नहीं हैं |
Hand over the string of your life in His hands. After all, He is ‘Kripalu’ (merciful), not a miser."

कृपा करु बरसाने वारी तेरी कृपा का भरोसा भारी.....कोउ हो या न हो अधिकारी सब पर कृपा करें प्यारी.....
...........श्री महाराज जी।

मन में निश्चय करो की हमारा लक्ष्य भगवान ही रहें, हम भगवान के लिए ही सब काम करें, भगवान के लिए ही जियें और अंत में भगवान का स्मरण करते हुए ही इस नश्वर शरीर को त्याग कर भगवान के चरणों में चलें जाएँ ।
जय श्री राधे।

SANSKAR TV CHANNEL DISCOURSES BY- JAGADGURU SHRI KRIPALU JI MAHARAJ.
NEW TIMINGS......
8:35PM - 9:00 IST
As of 1st October 2014

A Saint can only be known by a Saint of the same level, because like God, his true identity cannot be grasped by the material senses, mind and intellect.
.......JAGADGURU SHRI KRIPALU JI MAHARAJ.

Sunday, September 21, 2014

एक साधक का प्रश्न : महाराज जी आप कहते हैं कि मानव शरीर के पश्चात मानवेतर योनियों में जन्म लेना पड़ता है। क्या कोई ऐसी स्थिति है जब किसी के बारे में यह कहा जा सके कि इस जन्म में उसे मानव देह ही मिलेगा।
श्री महाराज जी द्वारा उत्तर : जिस व्यक्ति का चिंतन आधे से अधिक समय में भगवदीय हो जायेगा उसके बारे में यह निश्चित है कि अगला जन्म उसको मानव देह ही मिलेगा।

At bed time, you should keep an account of the offences you have committed during the day.
प्रतिदिन सोते समय सोचो आज हमने कितनी बार अपराध किये।
----SHRI MAHARAJ JI.

Break the Privacy and feel that Shyam Sundar is always with me.
अपनी प्राइवेसी को समाप्त करे और यह फील करे कि मेरे इष्टदेव श्याम सुन्दर सदा मेरे साथ है.
~~~~~~~JAGADGURU SHRI KRIPALU JI MAHARAJ.

प्रथम नमन गुरुवर पुनि गिरिधर ,जोइ श्री गुरुवर सोइ श्री गिरिधर।
हरि गुरु कृपा सदा सब ही पर ,अंतःकरण पात्र पावन कर।
करहु ' कृपालु ' कृपा मोहूँ पर , तन मन धन अर्पण चरनन पर।।

Saturday, September 20, 2014

किसी पर क्रोध न करो ! क्रोध पर क्रोध करो।
-------श्री महाराज जी।

सोचो........!
अगला क्षण मिले न मिले..........!!!

Friday, September 19, 2014

Making a big show of one's devotion in order to attract people is also Kusang.
----SHRI MAHARAJ JI.
 
हरि-गुरु हमारी रक्षा करते हैं, वे हमारी रक्षा कर रहें हैं, वे आगे भी हमारी रक्षा करेंगे इस पर विश्वास कर लो।
------श्री महाराजजी।

संत ही सच्चा देवता है ! संत ही अपना है ! वही हमारा सच्चा हितैषी है !
-----श्री महाराज जी .

हमारे स्वार्थ के द्रष्टिकोण से गुरु का ही स्थान ऊँचा है। भगवान् तो हमें प्रारम्भ में मिलेंगे नहीं। हमको ए . बी . सी . डी गुरु ही पढ़ायेगा। गुरु ही साधना करायेगा। हम उसके प्रति दुर्भावना भी करते हैं तो भी वो सहन करके मुस्कुराता रहता है। अभी बच्चा है , ज्ञान हो जायेगा तो ठीक हो जायेगा। वो हमारे पीछे पड़ा रहता है। जब हमारा अंतःकरण शुद्ध हो जायेगा। तो फिर वही गुरु ही उसको दिव्य बनायेगा स्वरूप शक्ति के द्वारा। फिर वही गुरु भगवान् से मिलायेगा। अतः यधपि हरि गुरु एक ही हैं किन्तु -
प्रथम नमन गुरुवर पुनि गिरिधर।
--------जगद्गुरु श्री कृपालु जी महाप्रभु।

Thursday, September 18, 2014

It is a matter of great astonishment that one does not give up hope in trying to attain happiness in the world which does not have a trace of Bliss, but one so easily gives up hope on the path to God, where the attainment of Infinite Bliss is guaranteed.
.........SHRI MAHARAJJI.

विचार कीजिये!
आज धन है, कल नहीं है, आज बल है, कल बुढ़ापा आ गया, आज रूप है कल कुरूप हो गये, जो कुछ है सीमित है वह भी एक सा नहीं रहेगा। और फिर एक दिन सारा का सारा जीरो(zero) हो जायेगा और लोग कहेंगे- आज वह चला गया।
------'जगद्गुरु श्री कृपालु महाराज' के श्रीमुख से।

'गुरु' खोजने से 'गुरु' नहीं मिलते, 'हरि' खोजने से, 'हरि कृपा' से, 'गुरु' मिलते हैं। और इन्हीं 'गुरु' के माध्यम से फिर आपको 'हरि' मिलते हैं।
...........श्री महाराजजी।

Wednesday, September 17, 2014

भक्ति में अनन्यता परमावश्यक है। हमारे मन की आसक्ति 'भक्ति', 'भक्त', 'भगवान' के अतिरिक्त और कहीं नहीं होनी चाहिए।
------श्री कृपालु जी महाप्रभु।

हे श्रीकृष्ण ! यदि दीनता से ही तुम कृपा करते हो तो वह तो मेरे पास थोड़ा भी नहीं है । अतः पहले ऐसी कृपा करो कि दीन भाव युक्त बनूँ ।' ऐसा कह कर आँसू बहाओ । यह करना पड़ेगा । मानवदेह क्षणिक है । जल्दी करो । पता नहीं कब टिकिट कट जाय ।
यह मेरा नम्र निवेदन सभी से है ।
--------जगद्गुरु श्री कृपालु जी महाराज।

A genuine saint never indulges in the performance of miracles or revelation of supernatural power. Most people fall into the trap of so-called saint who perform miracles of a material nature. Even though these miracles lead to Hell or some lower place, they are readily accepted by ignorant material being.

Tuesday, September 16, 2014

सब जीवों के अन्दर श्रीकृष्ण का निवास है !
Shri Krishna resides within each and every living being.
.....SHRI MAHARAJ JI.

हे करुणासिन्धु, दीनबंधु, मेरे बलबंधु तुम अपनी अकारण करुणा का स्वरूप प्रकट करते हुए मुझे अपना लो। मैं तो अनन्त जन्मों का पापी हूँ किन्तु तुम तो पतितपावन हो। यही सोचकर तुम्हारे द्वार पर आ गया।
-------श्री महाराज जी।

Shri Maharaj Ji's Literature - Profound & Practical....

Shri Maharaj Ji is freely pouring the Supreme Bliss of Shri Radha Krishn love in an unimaginable limit by all means. Apart from revealing the detailed devotional guidelines and the true philosophy of soul, maya, God, devotion and God realization, he has revealed devotional philosophy extensively. We must try to understand the importance of this opportunity and appreciate our luck that we are in this age to receive this Divine benefit. His Graciousness has no compare and his kindness has no limit. We can have a glimpse of it.

"क्षण क्षण हरि गुरु स्मरण में ही व्यतीत करो। पल पल मृत्यु की और बढ़ रहे हो और संसार में बेहोश हो।
-------जगद्गुरु श्री कृपालु जी महाप्रभु।"

Monday, September 15, 2014

जिन्होंने अपना समस्त जीवन जीव कल्याणार्थ समर्पित कर दिया , जो हर पल जीवों को प्रेम रस परिप्लुत करने के लिए लालायित रहते हैं ,
ऐसे प्रेमानन्द में निमग्न प्रेममूर्ति श्री कृपालु जी महाप्रभु को कोटि कोटि प्रणाम।

Speak less, speak softly and speak sweetly.
-----SHRI MAHARAJJI.

जरा सोचिए:
संसार मे सर्वत्र यही देखा जाता है, कि जिससे भी हमारा स्वार्थ हो हम उसे रिझाने के लिए अनेकानेक झूठे सच्चे स्वांग रचते रहते हैं । इस पर भी वह हमारे हित साधेगा ही यह जरुरी नही है ।और यह तो अंसभव ही है ,कि कोई अपने अहित की कीमत पर हमारा स्वार्थ साधे ।
और दूसरी तरफ जिसका अपना कोई स्वार्थ ही ना हो, जिसे देने के लिए हमारे पास कोई समान ही ना हो ,जिसे प्रसन्न करने के लिए हम कभी सच्चा प्रयास भी ना करते हो , वह व्यक्तित्व केवल हमारा हित साधने के लिए अनवरत , अथक व अकथ प्रयास करता रहे, वह भी हमे बिना बताये । हमारे न समझने पर दूसरी बार दूसरी तरह से फिर तीसरी तरह से फिर . . . . . . लगातार बिना निराश हुये हमारे मानसिक स्तर पर उतरकर कष्ट, पीडा व बदनामी को सहन करते हुए , हमारे परम चरम हित के लिए लगा रहे । विडम्बना ये कि हम उसे प्रसन्न करने का प्रयास कर उसके पावन चरणारविन्दो पर अपना सर्व-समर्पण कर अपने आप को लुटा देना तो दूर , उसके उपकारो को रियलआइज़(realize) भी ना करेँ . . . . . !!
हे र्दुदैव! हम और हमारे कृत्घनी मन को धिक्कार है ।
हे करुणामयी अम्मा! इससे पहले कि अधिक देर मे अंधेर हो जाये ,हमारी कुटिल कुचाली विपरीत बुद्धि को ठीक कर दो !
हमे सद्बुद्धि की भीख दे दो माँ ,चरण कमल बलिहार............. !!

कृपा करु बरसाने वारी,तेरी कृपा का भरोसा भारी।
कोउ हो या न हो अधिकारी, सब पर कृपा करें प्यारी।।
------श्री कृपालु जी महाप्रभु।

Sunday, September 14, 2014

The sweetness of the Radha name is so much that the ruler of the entire universe becomes a slave to Radha Rani due to that.

"हमारे श्री महाराजजी की वाणी सनातन वेद वाणी है। उनके श्रीमुख से नि:सृत एक-एक शब्द, उपदेश साक्षात भगवान श्री कृष्ण के ही उपदेश हैं। हमें उन्हे विश्वास एवं श्रद्धा से हृदयंगम करना चाहिये।"

"भक्तियोग-रस-अवतार अभिराम,करें निगमागम समनव्य ललाम।
श्यामा-श्याम नाम,रूप,लीला,गुण,धाम, बांटि रहे प्रेम निष्काम बिनु दाम।"

Saturday, September 13, 2014

"BHAKTI" :
It is described as an unconditional dedication of heart,body,and mind to please RadhaKrishn.it is an experience of devotional affinity,not just the fulfillment of religious rituals.it is a joy of desired servitude to the divine beloved,not the observance of a prescribed formality.it is a pure expression of natural,selfless love,not a prayer demanding the fulfillment of material needs.'Bhakti' is a loving affinity that grows on the base of humbleness,dedication and devotional emotions that are enlivened by remembering the name,virtues and leelas of RadhaKrishn."
.....JAGADGURU SHRI KRIPALUJI MAHARAJ.

कृपा करु बरसाने वारी,तेरी कृपा का भरोसा भारी।
कोउ हो या न हो अधिकारी, सब पर कृपा करें प्यारी।।
------श्री कृपालु जी महाप्रभु।

यह समझे रहना है की हमारे प्रेमास्पद श्री कृष्ण सर्वत्र है एवं सर्वदा है।विश्व में एक परमाणु भी ऐसा नहीं है, जहाँ उसका निवास न हो।जैसे तिल में तेल व्याप्त होता है ऐसे ही भगवान भी सर्वव्यापक है।उनको कोई भी स्थान या काल अपवित्र नहीं कर सकता।वरन वे ही अपवित्र को पवित्र कर देते है।
-----------जगद्गुरु श्री कृपालु जी महाराज।

Friday, September 12, 2014

यदि कभी कोई जीव हमारे प्यारे श्री महाराजजी (जगद्गुरु श्री कृपालुजी महाराज) से गुरुमंत्र के लिए प्रेमाग्रह करता है तो मुसकुराते हुए जवाब देते हैं। हमारे विषय में तो सब जानते ही हैं कि ना चेला बनाता है, और ना बनाने देता हैं। हमारे खिलाफ़ है सारे बाबा लोग, चाहे वो कोई भी हो। इसलिए मेरे पास कोई मंत्र लेने के लिये सोचना भी नहीं। मुझे अपना बनाना है तो- सदा सर्वत्र हर श्वास के साथ 'राधा' नाम का जप करो।

'कृपा' शब्द का वास्तविक अर्थ है 'जीव का कल्याण' शरीर का नहीं।
------श्री महाराज जी।

Thursday, September 11, 2014

यह तो संसार है इसमे सब कुछ कहने वाले लोग हैं ,सही भी,गलत भी। फिर गलत कहने वाले तो 99 परसेंट(percent) हैं, सत्वगुणी बुद्धि हुई तो सत्व गुणी बात कहने लगे, रजोगुणी बुद्धि हुई तो हमारा निर्णय रजोगुणी हो गया, तमोगुणी बुद्धि हुई तो एक दम से तमोगुण बात बोलने लगे। इसलिये जब हमारी स्वयं की बुद्धि ही एक सी नहीं रहती तो दूसरों से हम क्यों आशा करते हैं कि वह हमारी बात का समर्थन ही करेगा। ये कभी सतयुग में नहीं हुआ,त्रेतायुग में नहीं हुआ,द्वापर में नहीं हुआ,फ़िर आज क्यों होगा? सारे संतों ने इसलिए लिखा "तुम किसी की और मत देखो न किसी की सुनों बस,अपना काम करो।"
............जगद्गुरु श्री कृपालु जी महाप्रभु।

अगर कोई गलती हमसे हुई भी है तो भविष्य में अब गलती न करें , ये प्रतिज्ञापूर्वक चिंतन के द्वारा ठीक कर लें। तो ये प्राप्त कृपाओं का बार - बार चिंतन करना ही निराशा से बचने का इलाज है।
----श्री महाराज जी।

श्री महाराजजी से प्रश्न:
संसार में और भगवत क्षेत्र में हमारा व्यवहार कैसा होना चाहिए?

श्री महाराजजी द्वारा उत्तर:
भगवान से प्यार न करने के कारण आत्मशक्ति गिर गयी है इसलिए हृदय कठोर नहीं रह सकता संसार में,पिघल जाता है। यह दोष है। तो जितना भगवान की और पिघले उतना इधर कठोर हो। ऐसा balance होना चाहिए। संसार अलग है भगवान अलग है। दोनों में अलग-अलग हिसाब किताब है। चालाकी होनी चाहिए; संसार में कोई सिर काट के चरणों में रख दे तो भी यह न समझो कि यह हमारे सुख के लिए ऐसा कर रहा है। संसार में अपने स्वार्थ के लिए ही सब लोग काम करते हैं,यह सिद्धान्त को सदा याद रखो और जब भगवान के area में जा रहे हो तो वहाँ complete surrender करो। वहाँ बुद्धि लगाया कि बरबाद हुए। बड़े बड़े सरस्वती व्रहस्पति का सर्वनाश हो गया,साधारण जीव कि क्या गिनती है? तो दोनों एरिया अलग अलग हैं,अलग अलग सिद्धान्त है,अलग अलग प्रक्रियाएँ हैं।