Sunday, August 19, 2012

DOHA FROM RADHA GOVIND GEET..............BY SHRI MAHARAJJI.

माया ने भुलाया अरु गोविंद राधे।
गुरु ने जगाया ये भिखारी उन्हें का दे।।

भावार्थ: माया ने जीव को अपना स्वरूप- मैं शरीर नहीं आत्मा हूँ,भुला दिया था। वह अपने को शरीर मान कर शरीर के नातेदारों में ही आसक्ति कर बैठा। गुरु ने उसे इस मोह तंद्रा से जगा कर उसे याद दिलाया कि तुम शरीर नहीं आत्मा हो अतः तुम्हारा संबंध केवल परमात्मा से ही है। इस उपकार के बदले शरीर के सुख साधन की भौतिक सम्पत्ति का भिक्षुक अपने गुरु को क्या दे सकता है?

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