Monday, May 20, 2019

श्यामा ही हैं श्याम अरु श्याम ही हैं श्यामा, श्यामा श्याम विहरत वृन्दावन धामा।
श्याम तनु नीलो रंग, पीलो रंग श्यामा, श्याम धारें पीलो पट, नीलो पट श्यामा।
श्यामा रँगी श्याम रँग, श्याम रँगे श्यामा,ब्रजरस बरसावत ब्रज धामा।
श्यामा पावें श्याम रस, श्याम पावें श्यामा,हौं 'कृपालु' पावूं रस श्याम अरु श्यामा।।
----- जगद्गुरु श्री कृपालुजी महाराज।
संसार में प्रथम तो वैराग्य होना कठिन है। यदि वैराग्य हो भी गया तो कर्मकाण्ड का छूटना कठिन है। यदि कर्मकाण्ड से छुटकारा मिल गया तो काम क्रोधादि से छूटकर दैवी सम्पत्ति प्राप्त करना कठिन है। यदि दैवी संपत्ति भी आ गई तो भी सदगुरु मिलना कठिन है। यदि सदगुरु भी मिल जाय तो भी उनके वाक्य में श्रद्धा होकर ज्ञान होना कठिन है। और यदि ज्ञान भी हो जाय तो भी चित्त- वृत्ति का स्थिर रहना कठिन है।
यह स्थिति तो केवल भगवत्कृपा से ही होती है, इसका कोई अन्य साधन नहीं है। गोस्वामी तुलसीदास जी भी कहते हैं :--
" यह गुन साधन तें नहिं होई।
तुम्हरी कृपा पाव कोई कोई।।"
अतः विषयों से मन को हटाकर भगवत्तत्व गुरु से पूर्ण श्रद्धा के साथ समझकर उनके बताये गए मार्ग का ही अनुसरण करना चाहिए। तभी हमारा कल्याण होगा।
जो मनुष्य संसार को नाशवान और हरि- गुरु को सदा का साथी समझकर चलता है, वही उत्तम गति पाता है।
Click on this Link:
प्रिय मित्रों...जय श्री राधे!
आप सभी से करबद्ध निवेदन है कि आप लोग #जगद्गुरु_श्री_कृपालु_जी_महाराज_की_प्रचारिका_सुश्री_श्रीधरी_दीदी के #Official_Youtube_चैनल https://www.youtube.com/shreedharididi को #Subscribe करें और Bell icon भी Press करें जिससे आपको वहाँ पर पोस्ट किए गए #Latest_Videos की नोटिफिकेशन भी प्राप्त होती रहेगी।
जैसा कि आपको पिछले दिनों बताया गया था कि हमने इस चैनल पर #Short_Videos की श्रृंखला भी Start की है, इसी कड़ी में '#संतों_का_स्वभाव' विषय पर संक्षिप्त Video पोस्ट किया गया है। सभी लोग लाभ लें।
तत्त्वज्ञान का Revision अत्यंत आवश्यक है, इसलिए फेसबुक,Youtube के माध्यम से भी हम उसको पढ़कर,सुनकर पक्का करते रहें तो और अधिक लाभ होगा।
जैसा प्रेम एवं सहयोग आप सभी मित्रों का हमको Facebook पर प्राप्त होता रहा है,आशा है हमारे इस Youtube चैनल https://www.youtube.com/shreedharididi
को भी वैसा ही प्रेम,आशीर्वाद एवं सहयोग प्राप्त होगा। आप सभी श्री महाराज जी के साधकों का ये परम कर्तव्य है कि अधिक से अधिक लोगों तक श्री महाराज जी के दिव्य ज्ञान को पहुँचाने में आप हमारी मदद कीजिये। आप स्वयं भी Subscribe कीजिये और अपने ईष्ट मित्रों को भी इस youtube चैनल https://www.youtube.com/shreedharididi
पर Subscribe करने के लिए प्रेरित कीजिये।अधिक से अधिक Like,Comment एवं Share कीजिये। यहाँ पर आपको श्री महाराज जी द्वारा प्रगटित विशुद्ध तत्त्वज्ञान श्रीधरी दीदी की सुमधुर वाणी में श्रवण करने का सुअवसर मिलेगा। आशा है आप लोग मुझे निराश नहीं करेगें और अपने कर्तव्य का सहर्ष पालन करेंगे।
राधे-राधे।
निवेदक:
आपका नगण्य भाई:
शरद गुप्ता।
'स्मरण',एक मिनट तो क्या एक क्षण से शुरू होता है, इसे बढ़ाना ही साधना है। इस एक क्षण के 'स्मरण' को 'मरण' तक बढ़ाते रहना है। यह एक 'क्षण का स्मरण' जब 'एक क्षण को भी विस्मृत न हो' ,यही लक्ष्य की सिद्धि है।
मानव होकर के हम निराशा का चिन्तन करें,इससे बड़ा कोई अपराध नहीं है,अविवेक नहीं है। जो प्राप्त वस्तु है उसका अनादर करने से निराशा आती है।
#जगद्गुरु_श्री_कृपालु_जी_महाराज
नास्तिक व्यक्ति का संग रूपी कुसंग सबसे बड़ा अवगुण है। भक्ति मार्ग के साधक को हरि विमुखों का संग त्याग करना परमावश्यक है।
हमें निरन्तर हरि गुरु का स्मरण करने का अभ्यास करना है । निरन्तर मन को मनमोहन में ही रखना है । यदि कभी मन संसार में चला भी जाय तो यह नहीं सोचना है कि हमसे साधना नहीं होगी । हमारे वश का यह साधना नहीं है आदि । अरे सोचो तो जब और कोई चारा ही नहीं है । और दुःख निवृत्ति एवं आनन्दप्राप्ति का स्वभाव बदल ही नहीं सकता तो निराशा महान् भूल है।
देवदुर्लभ मानव देह पाना ही भगवत्कृपा है। फिर श्रीकृष्ण भक्त्ति का तत्वज्ञ गुरु मिल जाय और वह बोध करा दे (स्वयं शास्त्रों को पढ कर तो अनंत युगों में भी तत्वज्ञान असंभव है) तो फ़िर अब कौन सी हरि गुरु कृपा शेष है । अब तो साधक की ही कृपा ( साधना करने की) अपेक्षित है । देखो जब नवजात शिशु बैठना सीखता है, खडा होना, चलना आदि सीखता है तो हजारों बार गिरता है । किंतु पुनः चलने का अभ्यास करता है। वह अबोध होकर भी अभ्यास द्वारा चलने लगता है। और तुम बोध युक्त (गुरु ने बोध करा दिया) होकर भी अभ्यास से कतराते हो। आश्चर्य की बात है॥
----- जगद्गुरु श्री कृपालु जी महाराज।
श्यामा श्याम शरण गहु रे मन!
युगल माधुरी ध्यान धरे उर, गाउ नाम गुन रहु वृंदावन।
सखीभाव संतन अनुगत ह्वै, प्रेम सुधा पिवु लहु जीवनधन।
ह्वै निष्काम धाम-निष्ठा गहि, गहवर वन विचरहु गोवर्धन।
भरि भरि अंक लतन आनँद जल, झरझर झरि लावहु जनु सावन।
इमि ‘कृपालु’ मदमत रैन दिन, नित नव रस चाखहु मनभावन।।
भावार्थ:- अरे मन! तू राधा-कृष्ण के चरण-कमलों की शरण में जा, तथा राधा-कृष्ण का स्वरूप अपने हृदय में रखकर उनके विविध नाम गुणादिकों को प्रेम-विभोर होकर गाता हुआ निरन्तर वृन्दावन में ही निवास कर। गोपी प्रेम प्राप्त सखी भावयुक्त महापुरुषों की शरण होकर उस दिव्य प्रेमामृत का पान कर, जो तेरे जीवन का सर्वस्व है। निष्काम भाव रखते हुए श्री कृष्णधाम में चिन्मय दृष्टि रखकर गह्वरवन एवं गोवर्धन में घूमते हुए विचरण कर। ब्रज की लताओं का बार-बार आलिंगन करके नेत्रों से आनन्द के आँसुओं की श्रावण की तरह झड़ी लगाते हुए वर्षा कर। ‘श्री कृपालु जी’ कहते हैं–इस प्रकार तू प्रेम-रस में उन्मत होकर दिन-रात नित्य-प्रति नवीन-नवीन दिव्य रसों का मनमाना आस्वादन कर।
(प्रेम रस मदिरा:- सिद्धान्त-माधुरी)
#जगद्गुरु_श्री_कृपालु_जी_महाराज
सर्वाधिकार सुरक्षित:- राधा गोविन्द समिति।
गुरु को भगवत्स्वरूप मानकर तन-मन-धन से उनकी सेवा करने से अंतःकरण शुद्ध होता है।
कलियुग में भगवन्नाम, गुण लीलादि संकीर्तन ही भगवत्प्राप्ति का एकमात्र मार्ग है । भुक्ति,मुक्ति की कामनाओँ से रहित हो कर हरि-गुरु का रूपध्यान करते हुए,उनसे अत्यन्त दीनतापुर्वक,रोकर,दिव्य प्रेम की याचना करने से ही अन्तःकरण शुद्ध होगा । तब गुरु कृपा से दिव्य प्रेम की प्राप्ति होगी जिससे श्री राधाकृष्ण की नित्य सेवा का अधिकारी बन कर जीव सदा-सदा केलिये कृतार्थ हो जाएगा।
हरेर्नामैव नामैव नामैव मम जीवनम्।
कलौ नास्तैव नास्तैव नास्तैव गतिरन्यथा ॥
ये #राम का नाम ऐसा है कि भव का बीज, चौरासी लाख योनियों में जो चक्कर लगा रहा है इसका बीज जो है अविद्या माया, उसको भस्म कर देता है। भगवन्नाम का गर्जन उच्च संकीर्तन दिव्यानन्द प्रदान करता है और यमदूतों को डरा देता। अरे यहाँ राम नाम बोला जाता इधर मत चलो... ऐसा है भगवन्नाम ॥
दीन के तुम ही दीनानाथ।
नर किन्नर सुर कोउ देत नहिं, दीन हीन को साथ।
जब लौं तन धन जन को बल रह, गावत सब गुन गाथ।
लखतहिं निबल प्रबल स्वारथरत, तजत दंपतिहुं हाथ।
पुनि उन बाँह गहे न गहे का ? तुम बिनु सबै अनाथ।
अब कृपालु अपनाय ‘कृपालुहिं’ धरहु हाथ मम माथ।।

भावार्थ:- हे दीनानाथ श्यामसुन्दर! दीन जनों के एकमात्र तुम्हीं नाथ हो। हे श्यामसुन्दर! मनुष्य, किन्नर, देवता आदि कोई भी असमर्थ का साथ नहीं देता। संसार में जब तक किसी के पास शरीर, सम्पति एवं व्यक्तियों का बल रहता है तब तक सभी लोग उसके गुण गाया करते हैं और जैसे ही वह इन साधनों से रहित हो जाता है, वैसे ही प्रबल स्वार्थी प्राणाधिक प्यार का वादा करने वाले स्त्री पति भी हाथ छोड़ देते हैं। फिर इन मायाधीन रंग साथियों के हाथ पकड़ने से भी क्या लाभ। तुम्हारे बिना मैं अनाथ के समान हूँ। ‘श्री कृपालु जी’ कहते हैं–हे श्यामसुन्दर! अब ‘कृपालु’ को अपनाकर कृतार्थ करो, एवं अपना हाथ सदा के लिए मेरे सिर पर रख दो।
(प्रेम रस मदिरा:- दैन्य–माधुरी)
#जगद्गुरु_श्री_कृपालु_जी_महाराज
सर्वाधिकार सुरक्षित:- राधा गोविन्द समिति।
Watch Shreedhari Didi's New Video by clicking on this Link.
प्रिय मित्रों...जय श्री राधे!
आप सभी से करबद्ध निवेदन है कि आप लोग #जगद्गुरु_श्री_कृपालु_जी_महाराज_की_प्रचारिका_सुश्री_श्रीधरी_दीदी के #Official_Youtube_चैनलhttps://www.youtube.com/shreedharididi को #Subscribe करें और Bell icon भी Press करें जिससे आपको वहाँ पर पोस्ट किए गए #Latest_Videos की नोटिफिकेशन भी प्राप्त होती रहेगी।
जैसा कि आपको पिछले दिनों बताया गया था कि हमने इस चैनल पर #Short_Videos की श्रृंखला भी Start की है, इसी कड़ी में '#भगवान_का_ज्ञान_कैसे_होगा' विषय पर संक्षिप्त Video पोस्ट किया गया है। सभी लोग लाभ लें।
जब व्यस्तता के कारण आप अधिक अवधि वाले Videos देखने का समय नहीं निकाल पाते तब इन Short Videos के माध्यम से भी श्री महाराज जी द्वारा प्रगटित इस दिव्य तत्त्वज्ञान का Revision होता रहेगा। और ये Divine Philosophy आपको हर तरह की परिस्थितियों को हैंडल करने में समय-समय पर सहायता प्रदान करती रहेगी।
तत्त्वज्ञान का Revision अत्यंत आवश्यक है, इसलिए फेसबुक,Youtube के माध्यम से भी हम उसको पढ़कर,सुनकर पक्का करते रहें तो और अधिक लाभ होगा।
जैसा प्रेम एवं सहयोग आप सभी मित्रों का हमको Facebook पर प्राप्त होता रहा है,आशा है हमारे इस Youtube चैनल https://www.youtube.com/shreedharididi
को भी वैसा ही प्रेम,आशीर्वाद एवं सहयोग प्राप्त होगा। आप सभी श्री महाराज जी के साधकों का ये परम कर्तव्य है कि अधिक से अधिक लोगों तक श्री महाराज जी के दिव्य ज्ञान को पहुँचाने में आप हमारी मदद कीजिये। आप स्वयं भी Subscribe कीजिये और अपने ईष्ट मित्रों को भी इस youtube चैनल https://www.youtube.com/shreedharididi
पर Subscribe करने के लिए प्रेरित कीजिये।अधिक से अधिक Like,Comment एवं Share कीजिये। यहाँ पर आपको श्री महाराज जी द्वारा प्रगटित विशुद्ध तत्त्वज्ञान श्रीधरी दीदी की सुमधुर वाणी में श्रवण करने का सुअवसर मिलेगा। आशा है आप लोग मुझे निराश नहीं करेगें और अपने कर्तव्य का सहर्ष पालन करेंगे।
राधे-राधे।
निवेदक:
आपका नगण्य भाई:
शरद गुप्ता।