Saturday, September 24, 2011

महापुरुष के करुणामय व्यवहार को भला कोई कैसे समझ सकता है। स्वयं गाली खाकर भी वे अपना चिंतन (सत का चिंतन) करा कर जीव के अंत:करण को शुद्ध जो करना चाहते हैं।

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