Friday, September 16, 2011

हमारो ऐसो है रखवार | जैसो है नहिं सकल विश्व महँ, कोउ समरथ सरकार |
तीनि लोक अनुचर रह जिन को, विधि हरि हर करतार |
सोउ अनुचर श्री महाविष्णु कहँ, जो कमला भरतार |
सोउ श्री महाविष्णु अनुचर जिन, तिन कह नंदकुमार |
...
सोउ ‘कृपालु’ अनुचर जिन सोइ गुरु, कह भागवत पुकार ||


भावार्थ- हमारी रक्षा करने वाले ऐसे श्री गुरुदेव हैं जैसा सम्पूर्ण विश्व में कोई समर्थ नहीं है | जरा सोचिये, तीनों लोकों के स्वामी ब्रम्हा, विष्णु, शंकर कहे जाते हैं, किन्तु वे तीनों भी महाविष्णु के दास हैं और फिर वे महाविष्णु भी श्याम के दास हैं | ‘श्री कृपालु जी’ कहते हैं कि वे श्यामसुन्दर भी सद्गुरु के दास हैं | ऐसा उद्घोष भागवत पुराण का भी है |


(प्रेम रस मदिरा सद्गुरु-माधुरी)
जगद्गुरु श्री कृपालु जी महाराज
सर्वाधिकार सुरक्षित- राधा गोविन्द समिति

No comments:

Post a Comment