तुम लोगों में दीनता और सहनशीलता नाम की चीज नहीं है । किसी ने कुछ कह दिया तो उसकी फीलिंग,चिंतन,मनन करते रहते हों। यह सब तुममे जो अहंकार भरा पड़ा है उसी वजह से है। वह तुम्हें दीन नहीं बनने देता जबकि तुम्हें तो तृण से भी अधिक दीन बनना है ।
-------श्री महाराजजी.
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