Friday, September 16, 2011

1.किसी वस्तु कि तुम कामना करते हो ,उसके मिलने पर तुमको जैसी प्रसन्ता,खुशी होती है ,वैसी ही प्रसन्ता,खुशी 'सेवा' मेँ होनी चाहिये। तभी लाभ होगा ।

2.संसार वाले बाहरी चीजे देखते हैं, और महापुरुष और भगवान भीतर (आंतरिक) चीजे देखते हैं।


 3.वास्तविक महापुरुष का केवल एक ही लक्ष्य होता है, वो है जीव को ईश्वर कि और ले जाना।

-------जगद्गुरू श्री कृपालुजी महाराज.





 

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