Friday, September 23, 2011


वे सदा से हम पर निगरानी रखते हैं। हमारे हर संकल्प, हर क्रिया को, हर क्षण ,हमारे साथ रहकर देखा करते हैं। यह हमारी ही कमी है की हम उन्हे अपने साथ सदा महसूस नहीं कर पाते। बस पूर्ण दीन अतिदीन होकर अपनी इंद्रिय मन बुद्धि को उनके चरणों में सदा-सदा के लिए अर्पित कर दो। केवल उनकी आज्ञा ही हमारा चिंतन और उसका पालन ही हमारा काम है। बस इतनी साधना है। इसी बात पर आँसू बहाकर उनके चरणों को धोकर पी लो कि हम उन्हे सदा साथ-साथ महसूस क्यो नहीं करते।
-------जगद्गुरु श्री कृपालुजी महाराज।

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