Saturday, September 17, 2011

संसार संबंधी सभी विषयों में बार-बार आनंदाभाव का चिंतन करो।


संसार संबंधी विषयवर्धक पद्धार्थों से भी यथासम्भव दूर ही रहो।

मानवदेह का सर्वाधिक महत्व सोचकर एक-एक क्षण मूल्यवान मानो, एवं अनावश्यक समय का अपव्यय ना करो।

संत और श्यामा-श्याम हमारे हो चुके, ऐसा बार-बार विश्वास दृढ़ करो, तथा हम भी संत एवं श्यामा-श्याम के हो चुके, ऐसा बार-बार निश्चय करो।

रूपध्यान पर सबसे अधिक ध्यान दो।

--------JAGADGURU SHRI KRIPALUJI MAHARAJ.










 

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