Friday, September 30, 2011

सदा यह चिन्तन बनाये रखो कि मुझे मेरे प्रिय गुरुवर (श्री महाराजजी) का जितना स्नेह, अनुग्रह मिल चुका है वही अनंत जन्मों के पुण्यों से असम्भव है। अतएव पूर्व प्राप्त स्नेह एवं अनुग्रह का चिन्तन करके बार-बार बलिहार जाओ।

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