Monday, September 12, 2011

श्री महाराजजी (जगद्गुरू श्री कृपालुजी महाराज) के व्यवहार को देखकर यही लगता है कि वे तो साक्षात "कृपा मूर्ति राधारानी" का ही स्वरूप है,उन्होने तो अपराधों को देखना ही छोड़ दिया है,केवल कृपा कृपा कृपा और कृपा ही उनका वास्तविक स्वरूप है ।
****राधे-राधे****

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