अनन्त कोटि जीव शंकर भगवान के नाम का स्मरण कर - कर के जीवन - मरण के चक्र से मुक्त हो चुके हैं. वो शंकर भगवान नित्य निरन्तर श्री कृष्ण की प्रेम समाधि में खोये रहते हैं. और वो अनन्त कोटि ब्रह्माण्ड नायक श्री कृष्ण, जिनकी एक भृकुटी से प्रलय और मुस्कान से सृष्टि हो जाती है, नित्य निरन्तर राधा जी का नाम सुनने को बेचैन रहते हैं. कल भादव शुक्ल अष्टमी को श्री राधा जी के जन्म दिवस पर आपको बहुत - बहुत हार्दिक शुभकामनायें. जब राधे - राधे बोलने मात्र से स्वयं सर्वोच्च परमात्मा श्री कृष्ण पीछे पीछे चलते हैं तो और क्या करना शेष है. बोलिए राधे राधे!
No comments:
Post a Comment