भइँ कुँवरि भूप वृषभान के |
थिरकत चले झुंड ग्वालन अरु, झुण्ड सबै वनितान के |
भई भीर वृषभानु भूप घर, शोर बधाइन गान के |
कोउ कछु कहत न कोउ कछु पूछत, बंद सबै पट भान के |
कीरति मातु लुटावति दोउ कर, थार भरे मोतियान के |
... पै ‘कृपालु’ सब भानुकुँवरि के, भूखे दर्शन-दान के ||
भावार्थ- आज श्री वृषभानु राजा के घर में राधिकाजी का जन्म हुआ है, जिसके उपलक्ष्य में थिरकते हुए ग्वालों के झुण्ड एवं नृत्य करती हुई ब्रजांगनाओं की वृषभानु के महल में बहुत बड़ी भीड़ हो गयी है एवं चारों ओर बधाई गान की ही तुमुल ध्वनि हो रही है | समस्त ब्रजवासी इतने प्रेम-विभोर हो गये हैं कि न तो कोई किसी से कुछ कहता ही है और न तो कोई किसी से कुछ पूछता ही है | समस्त ब्रजवासी अपनी सुध-बुध खो चुके हैं | कीर्ति मैया मोतियों से भरी हुई थालियों को दोनों हाथों से लुटा रही हैं, फिर भी, ‘श्री कृपालु जी’ कहते हैं कि कोई लूटने वाला नहीं है क्योंकि समस्त जनता एकमात्र श्री वृषभानु-नंदिनी के दर्शन की ही भूखी है |
(प्रेम रस मदिरा श्री राधा-बाल लीला -माधुरी)
जगद्गुरु श्री कृपालु जी महाराज
सर्वाधिकार सुरक्षित- राधा गोविन्द समिति
थिरकत चले झुंड ग्वालन अरु, झुण्ड सबै वनितान के |
भई भीर वृषभानु भूप घर, शोर बधाइन गान के |
कोउ कछु कहत न कोउ कछु पूछत, बंद सबै पट भान के |
कीरति मातु लुटावति दोउ कर, थार भरे मोतियान के |
... पै ‘कृपालु’ सब भानुकुँवरि के, भूखे दर्शन-दान के ||
भावार्थ- आज श्री वृषभानु राजा के घर में राधिकाजी का जन्म हुआ है, जिसके उपलक्ष्य में थिरकते हुए ग्वालों के झुण्ड एवं नृत्य करती हुई ब्रजांगनाओं की वृषभानु के महल में बहुत बड़ी भीड़ हो गयी है एवं चारों ओर बधाई गान की ही तुमुल ध्वनि हो रही है | समस्त ब्रजवासी इतने प्रेम-विभोर हो गये हैं कि न तो कोई किसी से कुछ कहता ही है और न तो कोई किसी से कुछ पूछता ही है | समस्त ब्रजवासी अपनी सुध-बुध खो चुके हैं | कीर्ति मैया मोतियों से भरी हुई थालियों को दोनों हाथों से लुटा रही हैं, फिर भी, ‘श्री कृपालु जी’ कहते हैं कि कोई लूटने वाला नहीं है क्योंकि समस्त जनता एकमात्र श्री वृषभानु-नंदिनी के दर्शन की ही भूखी है |
(प्रेम रस मदिरा श्री राधा-बाल लीला -माधुरी)
जगद्गुरु श्री कृपालु जी महाराज
सर्वाधिकार सुरक्षित- राधा गोविन्द समिति
No comments:
Post a Comment