Monday, September 12, 2011

हमेशा यह सोचते रहो कि तुम्हारी की गयी साधना सुरक्षित भी होती जा रही है,या तुम्हारे द्वारा किए कार्यों से नष्ट भी होती जा रही है।रात्रि मेँ एक बार अवश्य सोचो।
रात्रि मेँ सोते समय गुरु को अपने अंत:करण मेँ प्रवेश करके सोओ।
-----श्री महाराजजी.

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