नंद के भये आजु आनंद |
ब्रम्ह सच्चिदानंद रूप धरि, प्रकट्यो आनँदकंद |
देव-वृंद दुंदुभिहिं बजावत, कहि कहि जय ब्रजचंद |
मंगल-गान करत ब्रम्हादिक, गाइ चारि श्रुतिछंद |
नारद शारद ज्ञान-विशारद, भाग्य सराहत नंद |
...होत ‘कृपालु’ सुकृत यशुमति लखि, वाणिहुँ वाणी बंद ||
भावार्थ- आज नन्द महर के घर में आनन्द मूर्तिमान हो कर प्रकट हुआ है, क्योंकि आनन्दकंद सच्चिदानंद ब्रम्ह श्रीकृष्ण चन्द्र ने सगुण साकार अवतार धारण किया है, जिसके आनन्द में देवताओं के समूह ‘ब्रज चंद की जय हो’ ऐसा कहकर दुंदुभी बजा रहे हैं | ब्रम्हादिक चारों वेदों की ऋचाओं का उच्चारण करते हुए मंगल गान कर रहे हैं | ज्ञानियों में सर्वश्रेष्ठ महर्षि नारद एवं सरस्वती जी नन्द के भाग्य की भूरि-भूरि सराहना कर रहे हैं | ‘श्री कृपालु जी’ कहते हैं कि यशोदा मैया के पुण्य पुंज के बखान करते समय साक्षात् सरस्वती की भी वाणी रुक जाती है |
(प्रेम रस मदिरा श्री कृष्ण-बाल लीला- माधुरी)
जगद्गुरु श्री कृपालु जी महाराज
सर्वाधिकार सुरक्षित- राधा गोविन्द समिति
ब्रम्ह सच्चिदानंद रूप धरि, प्रकट्यो आनँदकंद |
देव-वृंद दुंदुभिहिं बजावत, कहि कहि जय ब्रजचंद |
मंगल-गान करत ब्रम्हादिक, गाइ चारि श्रुतिछंद |
नारद शारद ज्ञान-विशारद, भाग्य सराहत नंद |
...होत ‘कृपालु’ सुकृत यशुमति लखि, वाणिहुँ वाणी बंद ||
भावार्थ- आज नन्द महर के घर में आनन्द मूर्तिमान हो कर प्रकट हुआ है, क्योंकि आनन्दकंद सच्चिदानंद ब्रम्ह श्रीकृष्ण चन्द्र ने सगुण साकार अवतार धारण किया है, जिसके आनन्द में देवताओं के समूह ‘ब्रज चंद की जय हो’ ऐसा कहकर दुंदुभी बजा रहे हैं | ब्रम्हादिक चारों वेदों की ऋचाओं का उच्चारण करते हुए मंगल गान कर रहे हैं | ज्ञानियों में सर्वश्रेष्ठ महर्षि नारद एवं सरस्वती जी नन्द के भाग्य की भूरि-भूरि सराहना कर रहे हैं | ‘श्री कृपालु जी’ कहते हैं कि यशोदा मैया के पुण्य पुंज के बखान करते समय साक्षात् सरस्वती की भी वाणी रुक जाती है |
(प्रेम रस मदिरा श्री कृष्ण-बाल लीला- माधुरी)
जगद्गुरु श्री कृपालु जी महाराज
सर्वाधिकार सुरक्षित- राधा गोविन्द समिति
No comments:
Post a Comment