Thursday, October 13, 2011

गुरु का एक ही अर्थ है, जो तुम्हारी नींद तोड़ दे। और नींद का टूटना हमेशा दु:खद है। जो भी तुम्हारी नींद तोड़ेगा, उसपर तुम नाराज़ होओगे, क्योंकि वह तुम्हें बेचैनी में डाल रहा है। इसलिए गुरु शुरु में तो कष्टदायी मालूम पड़ता है, दु:खदायी मालूम पड़ता है, परंतु बाद में परम सुखदायी है।



एक सद्गुरु जो जागा हुआ है, वह सोये हुए को हिला सकता है, जागा सकता है, हालाकि तुम सद्गुरु को भी धोखा दे जाते हो। उससे कहते हो, बस! उठता हूँ। करवट लेकर, आँखें बंद करके, फिर सो जाते हो। अकेले तो तुम्हारा जागना करीब-करीब असंभव है।

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