Tuesday, February 26, 2013

श्री कृष्ण का माधुर्य रस इतना विलक्षण है कि श्रीकृष्ण स्वंय अपने आप को देखकर मुग्ध हो जाते हैं एवं अपना ही आलिंगन करना चाहते हैं ! अतः वे निजजन के ही मनमोहन नहीं हैं , वरन अपने मन के भी मोहन हैं !
"""""""""जगद्गुरु श्री कृपालु जी महाराज"""""""""""
श्री कृष्ण का माधुर्य रस इतना विलक्षण है कि श्रीकृष्ण स्वंय अपने आप को देखकर मुग्ध हो जाते हैं एवं अपना ही आलिंगन करना चाहते हैं ! अतः वे निजजन के ही मनमोहन नहीं हैं , वरन अपने मन के भी मोहन हैं !
"""""""""जगद्गुरु श्री कृपालु जी महाराज"""""""""""

 

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