Sunday, February 17, 2013

परदोष-चिन्तन करना ही स्वयं के सदोष होने का पक्का प्रमाण है।

परदोष दर्शन साधना में सबसे बडी बाधा है क्योंकि परदोष दर्शन से दो हानि हैं- एक तो यह कि परदोष दर्शन काल में स्वाभाविक रुप में स्वाभिमान ब्रुद्धि होति है, जो की साधक के लिये तत्क्ष्यण ही पतन का कारण बन जाती है । दुसरे यह कि परदोष चिन्तन करते हुए शनैः शनैः बुद्धि भी दिषमय हो जाती है, जिसके परिणामस्वरुप उन्हीं सदोष विषय में ही प्रव्रुत्ति होने लगती है, अतएव सदोष कार्य होने लगता है॥

-जगद्गुरु श्री कृपालुजी महाराज.
परदोष-चिन्तन करना ही स्वयं के सदोष होने का पक्का प्रमाण है।

परदोष दर्शन साधना में सबसे बडी बाधा है क्योंकि परदोष दर्शन से दो हानि हैं- एक तो यह कि परदोष दर्शन काल में स्वाभाविक रुप में स्वाभिमान ब्रुद्धि होति है, जो की साधक के लिये तत्क्ष्यण ही पतन का कारण बन जाती है । दुसरे यह कि परदोष चिन्तन करते हुए शनैः शनैः बुद्धि भी दिषमय हो जाती है, जिसके परिणामस्वरुप उन्हीं सदोष विषय में ही प्रव्रुत्ति होने लगती है, अतएव सदोष कार्य होने लगता है॥

-जगद्गुरु श्री कृपालुजी महाराज

 

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