Thursday, February 21, 2013

सम्पूर्ण भुमंडल जिनकी दिव्य प्रभा से आलोकित हो रहा है, जिनका अवतरण कलिमल ग्रसित दैहिक,दैविक,भौतिक तापों से तप्त जिवों को श्रीकृष्ण के प्रेमानन्द और् प्रेमा-भक्ति में बरबस सराबोर करने के लिए ही हुआ है, एसे दिव्यातिदिव्य परमपुरुष पंचम मुल जगद्गुरु श्री कृपालुजी महाराज के पादपल्लवों में कोटि-कोटि नमन् !

जिन्होंने काशीपुरी के कई शत प्रकांड विद्वानों के ज्ञान-गर्व का मर्दन कर विश्व को नाना प्रकार के मत-मतांतरों के जाल-फ़ंदों से मुक्त किया है और भगवत्प्राप्ति का प्रमाणित और वैज्ञानिक मार्ग प्रशस्त किया है, एसे सन्ताग्रगण्य श्री कृपालु जी महाराज के वैष्णव अभिवंदित चरणकमलों में हमारे भगवद् सेवा हित होने वाले कोटि-कोटि जन्मों का सानंद समर्पण !
सम्पूर्ण भुमंडल जिनकी दिव्य प्रभा से आलोकित हो रहा है, जिनका अवतरण कलिमल ग्रसित दैहिक,दैविक,भौतिक तापों से तप्त जिवों को श्रीकृष्ण के प्रेमानन्द और् प्रेमा-भक्ति में बरबस सराबोर करने के लिए ही हुआ है, एसे दिव्यातिदिव्य परमपुरुष पंचम मुल जगद्गुरु श्री कृपालुजी महाराज के पादपल्लवों में कोटि-कोटि नमन् !

जिन्होंने काशीपुरी के कई शत प्रकांड विद्वानों के ज्ञान-गर्व का मर्दन कर विश्व को नाना प्रकार के मत-मतांतरों के जाल-फ़ंदों से मुक्त किया है और भगवत्प्राप्ति का प्रमाणित और वैज्ञानिक मार्ग प्रशस्त किया है, एसे सन्ताग्रगण्य श्री कृपालु जी महाराज के वैष्णव अभिवंदित चरणकमलों में हमारे भगवद् सेवा हित होने वाले कोटि-कोटि जन्मों का सानंद समर्पण !

 



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