Tuesday, July 1, 2014

तुझ से विमुख होके गोविन्द राधे।
अति दुःख पाया हरि अब तो क्षमा दे।।

क्षण - क्षण अपना , साधना तथा सेवा में व्यतीत करो। आज का दिन गया, फिर मिले या न मिले, दुबारा मानव देह फिर मिले या न मिले। इस समय तो मानव देह भी मिला है और गुरु भी मिल गया है । फिर भी लापरवाही क्यों ? इससे अच्छा अवसर फिर आसानी से नहीं मिलने वाला, इसका महत्व बार-बार सोचो।
........जगद्गुरु श्री कृपालु जी महाप्रभु।

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