Wednesday, July 23, 2014

गुरु वन्दना........!!!!!
वेदों शास्त्रों, पुराणों, गीता,भागवत ,रामायण तथा अन्यानय धर्मग्रन्थों के शाश्वत अलौकिक ज्ञान के संवाहक तुमको कोटि-कोटि प्रणाम। जन-जन तक यह ज्ञान पहुँचाकर दैहिक ,दैविक,भौतिक तापों से तप्त कलियुगी जीवों के लिए तुमने महान उपकार किया है जो सरलतम,सरस,सार्वत्रिक ,सार्वभौमिक,भक्तियोग प्राधान्य मार्ग तुमने प्रतिपादित किया है,वह विश्व शांति का सर्व-सुगम साधन है,असीम शाश्वत आनंद का मार्ग है। सभी धर्मानुयायीयों को मान्य है।
हे जगद्गुरूत्तम! तुमको कोटि-कोटि प्रणाम। कोटि-कोटि प्रणाम।

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