Wednesday, September 11, 2013

क्रोध की शुरुआत , लोभ की शुरुआत ,ईर्ष्या की शुरुआत हो, वहीँ पर सावधान हो जाओ - हमे भगवान् की, गुरु की कृपा चाहिए ।वह हमारे साथ हैं, और देख रहे है हम क्या कर रहे हैं ।तो कृपा कैसे मिलेगी ?ये सब सावधान रहने का अभ्यास करना चाहिए और रात को सोते समय सोचे - आज हमने कहाँ - कहाँ क्रोध किया, कहाँ - कहाँ लोभ किया, कहाँ कहाँ किसको दुःख दिया, उसको फील करो। दूसरे दिन फिर वो और कम हो, फिर और कम हो फिर ख़त्म हो जाए।
.........श्री महाराजजी।

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