Tuesday, August 5, 2014

केवल गुणगान करने से भी काम नहीं चलेगा। गान तो गवैये भी करते है , लेकिन उनको भगवत्प्राप्ति नहीं होती।
अतएव गुणगान करते समय तदनुसार भाव भी लाओ।
जैसे :- हम बहुत अधम है ,पतित है ,अनंत जन्मो के किये अनंत पापों की गठरी सर पैर लिए हैं और वे अकारण करुण,भक्त -वत्सल ,पतित -पावन ,अधम -उधारंहार आदि हैं।
........श्री कृपालु जी महाप्रभु।

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