Saturday, November 5, 2011

भगवान और गुरु सर्वव्यापक हैं, हमारे क्षण-क्षण के विचारों को, चिंतन को नोट करते हैं, ये विश्वास हमें सदा अपने हृदय में बनाये रखना चाहिये।
------श्री महाराजजी।


सच्चा गुरु कभी संसारी वस्तु नहीं दिया करता। वास्तविक गुरु कभी सिद्धियों का चमत्कार नहीं दिखाते। वे कभी मिथ्या आशीर्वाद व श्राप भी नहीं देते।
-----श्री महाराजजी।



गुरु की शरण गहो जाय गुरुधामा।
हरि नाम गुण गावो बनो निष्कामा।।
आदेश पालन हो सदा गुरुधामा।
आदेश पालन ते मिलें श्याम श्यामा।।

------श्री महाराजजी।







भक्ति में अनन्यता परमावश्यक है। हमारे मन की आसक्ति 'भक्ति', 'भक्त', 'भगवान' के अतिरिक्त और कहीं नहीं होनी चाहिए।
------श्री कृपालु महाप्रभु।

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