Sunday, November 27, 2011



हम श्यामसुंदर के आगे ,. उनको सामने खड़ा करके , रो कर उनका दर्शन , उनका प्रेम मांगे बस ...यही भक्ति है......और कुछ नहीं करना धरना है ...
ध्यान दो.....रो कर ...अकड कर नहीं .....
वो सब जानते हैं ....मक्कारी नहीं चलेगी वहां....अंतर्यामी हैं वो .......घट घट वासी हैं ...

जैसे कोई पानी में डूबने लगता है , और तैरना नहीं जानता है ... तो वो कितनी ब्याकुलता मैं हाथ ऊपर करता है ...कल्पना करके देखिये....सब ...समझ आ जायेगा..

जैसे मछली को पानी से बाहर डाल दो ...... कैसे तडपती है पानी के लिए ....सोचिये जरा..

ऐसे ही श्यामसुंदर से मिलने के लिए हमे भी तडपना ही होगा .......
इस जन्म में या फिर हजार जन्म बाद. फिर ........लेकिन करना ये ही पड़ेगा .....लौटकर यहीं आना पड़ेगा जहाँ इस समय हो.....

इसलिए अभी से अबाउट टर्न हो जाओ .......बुधि को बार बार समझाओ ...तब चलोगे तेजी से ...
जल्दी करो समय बहुत कम है...

मानव देह क्षण भंगुर है ...अगला पल मिले न मिले कोई गारंटी नहीं है ..यमराज ले जायेगा टाइम पूरा होते ही..कोई चांस नहीं मिलेगा दुबारा.....
बिना परमीसन के और बिना बताये ले जायेगा......

--------- तुम्हारा कृपालु.

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