Tuesday, May 6, 2014

भगवान् का स्मरण करके उनके मिलन की परम व्याकुलता बढ़ा करके जिसके आँखों से आँसू आयेंगे, उनके स्मरण से शरीर में रोमांच, कम्पादि होंगे तभी अंतःकरण शुद्ध होगा। ये धर्म - कर्म से अंतःकरण शुद्ध नहीं होता।
.......जगद्गुरु श्री कृपालु जी महाराज।

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