Tuesday, March 5, 2013

स्वार्थ तजि जो कर गोविंद राधे |
पर उपकार महामानव बता दे ||

भावार्थ- जो स्वार्थ त्याग कर परोपकार करता है वह महामानव है |

...
स्वार्थ साथ जो कर गोविंद राधे |
पर उपकार वाय मानव बता दे ||

भावार्थ- अपने स्वार्थ की पूर्ति के साथ साथ जो दूसरों के सुख का भी ध्यान रखता है वह मानव है |

स्वार्थ हित जो कर गोविंद राधे |
पर अपकार वाय असुर बता दे ||

भावार्थ- जो अपने स्वार्थ के वशीभूत होकर दूसरे का अपकार करता है वह दानव है |

..................राधा गोविंद गीत ( जगद्गुरु श्री कृपालु जी महाराज ).................
स्वार्थ तजि जो कर गोविंद राधे |
पर उपकार महामानव बता दे ||

भावार्थ- जो स्वार्थ त्याग कर परोपकार करता है वह महामानव है |

स्वार्थ साथ जो कर गोविंद राधे |
पर उपकार वाय मानव बता दे ||

भावार्थ- अपने स्वार्थ की पूर्ति के साथ साथ जो दूसरों के सुख का भी ध्यान रखता है वह मानव है | 

स्वार्थ हित जो कर गोविंद राधे |
पर अपकार वाय असुर बता दे ||

भावार्थ- जो अपने स्वार्थ के वशीभूत होकर दूसरे का अपकार करता है वह दानव है |

..................राधा गोविंद गीत ( जगद्गुरु श्री कृपालु जी महाराज ).................

 

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