Monday, April 14, 2014

भगवान् से बड़ा कोई प्रिय नहीं है।
उसको पैदा होने के दबाव में , इतना कष्ट हुआ उस कष्ट को निकलने के लिये रोता हैं।
हमारा बाप मर गया , माँ मर गई , पति मर गया , बीबी मर गई बेटा मर गया। हम रोते हैं। क्यों रोते हैं ....... उसके वियोग के दुःख का जो टेम्प्रेचर { temperature } अन्दर आया उसको डाउन करने को , निकालने को। उससे शान्ति मिलती है , सुख मिलता है। तो हर क्रिया आनंद के लिये है। क्योंकि हम आनंद के अंश हैं। इसलिये हमारी आत्मा जो है सबसे प्रिय है अब उसका भी प्रिय भगवान् है। अब भगवान् से बड़ा कोई प्रिय नहीं है।
इसलिये उसको प्रियतम कहते हैं। स्वाभाविक हमारा सबसे प्रिय है , बनवाटी नहीं। बाकी सब बनावटी हैं। माँ से प्यार कितना दिन करोगे। जब तक जिन्दा है। मर गई तो प्यार खतम हो जाता है। अरे फिर भी हम करते रहेंगे जी।
और तुम मर गये तो........ तो पता नहीं कौन हमारी माँ थी दूसरी माँ बनेगी। हम कुत्ता बनेंगे तो कुतिया हमारी माँ बनेगी। हम गधा बनेंगे तो गधी हमारी माँ बनेगी।

.............जगद्गुरुत्तम श्री कृपालु जी महाप्रभु।

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