Thursday, April 17, 2014

यह मन अनादि काल से माया के आधीन है। अतः अत्यंत मलिन हो गया है। अतः श्याम प्रेम के अश्रुजल से धोकर इसे निर्मल बना दो।
------जगद्गुरुत्तम श्री कृपालु जी महाप्रभु।

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