Wednesday, April 9, 2014

दास का धर्म केवल दासता करना, सेवा करना और सेवा करने का मतलब जिससे स्वामी को सुख मिले.....जिससे 'स्वामी को सुख मिले'... रट लो...भगवतप्राप्ति तक काम देगा..यहीं तो सारी गड़बड़ हो रही है।
.......... श्री महाराजजी।

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