Wednesday, June 5, 2013

सर्वशक्ति प्राकट्य हो , लीला विविध प्रकार |
विहरत परिकर संग जो , तेहि भगवान पुकार ||24||

भावार्थ – जिस स्वरुप में समस्त शक्तियों का पूर्ण प्राकट्य हो एवं अनंत नाम ,रूप ,लीला ,गुण ,धाम तथा परिकर भी हों | नित्य विहार भी करते हों | वह भगवान श्रीकृष्ण का स्वरुप है |

(भक्ति शतक )
जगदगुरु श्री कृपालुजी महाराज द्वारा रचित |
सर्वशक्ति प्राकट्य हो , लीला विविध प्रकार |
विहरत परिकर संग जो , तेहि भगवान पुकार ||24||

भावार्थ – जिस स्वरुप में समस्त शक्तियों का पूर्ण प्राकट्य हो एवं अनंत नाम ,रूप ,लीला ,गुण ,धाम तथा परिकर भी हों | नित्य विहार भी करते हों | वह भगवान श्रीकृष्ण का स्वरुप है |

(भक्ति शतक )
जगदगुरु श्री कृपालुजी महाराज द्वारा रचित |

No comments:

Post a Comment