Tuesday, June 25, 2013

मन ! ‘मैं’ को मत छोड़ तू , दास जोड़ दे और |
‘मेरा’ भी रख साथ में , सो रसिकन सिरमौर ||३१||

भावार्थ – हे मन ! तू ‘मैं’ को मत छोड़ | वरन ‘मैं’ के आगे दास को और जोड़ दे (मैं दास हूँ) मेरा भी मत छोड़ | वरन मेरा के आगे रसिक शेखर श्रीकृष्ण जोड़ दे | (मेरे स्वामी)

(भक्ति शतक )
जगदगुरु श्री कृपालुजी महाराज द्वारा रचित |

No comments:

Post a Comment