Saturday, August 24, 2013

चाहे जैसी भी परिस्थिति हो सदैव गुरु के अनुकूल ही चिन्तन करो | प्रतिकूल परिस्थिति में भी अनुकूल चिन्तन बना रहे तभी समझो कि हमारी स्थिति ठीक है | चाहे कैसी भी कठिन सेवा हो या आज्ञा हो उसके पालन में प्राणपन से बलिहार जाना चाहिए |

............श्री महाराजजी !!!

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