Saturday, June 8, 2013

केवल भजन कीर्तन पूजापाठ नाम जप तप इत्यादि करने से काम नहीं बनेगा। गान तो गवैये भी करते है लेकिन उनको भगवतप्राप्ति नहीं होती। अतएव गुणगान करते समाये तदनुसार भाव भी लाओ । जैसे हम वस्तुत: अधम है ,पतित है ,अनंत जन्मो के किए पापो की गठरी सिर पर लिए है । और वे अकारण करुण,भक्त वत्सल ,पतित-पावन अधम-उधारनहार आदि हैं।

जगद्गुरु श्री कृपालु महाप्रभु।

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