Thursday, June 5, 2014

भगवान् को तो शुद्ध मन पसंद है ! अशुद्ध मन से वो प्यार नहीं करते ! समदर्शी बने रहते हैं अर्थात उनके कर्मों का फल दे देते हैं बस ! जैसे मुन्सिफ होता है , इन्साफ करते हैं ! लेकिन गुरु पतितों से प्यार करता है !
..............जगद्गुरुत्तम श्री कृपालु जी महाप्रभु की जय हो ।

No comments:

Post a Comment