Thursday, June 19, 2014

जो मेरी ही शरण में आ जाता है उसके अनन्त जन्म के पाप को नाश कर देता हूँ। तो फिर पाप पाप की बात क्यों खोपड़ी में लगी है तेरे ? मैं पूर्ण शरणागत के थोड़े से पापों को नहीं , 'सर्वपापेभ्यो ' समस्त पापों को नष्ट कर देता हूँ और आगे पाप न करेगा ये ठेका ले लेता हूँ। गारण्टी। लेकिन प्रपन्न होना होगा। प्रपन्न माने पूर्ण शरणागति यानी मन बुद्धि भी शरणागत हो। अपनी बुद्धि न लगा....... मन भी मुझे दे दे।
.........जगद्गुरु श्री कृपालु जी महाप्रभु।

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