Sunday, March 16, 2014

हम लोगों को साधकों को सदा यही समझना चाहिये कि हमसे जो अच्छा काम हो रहा है वह गुरु एवं भगवान् की कृपा से ही हो रहा है क्योंकि हम तो अनादिकाल से मायाबद्ध , घोर संसारी , घोर निकृष्ट , गंदे आइडियाज़ ( ideas ) वाले बिल्कुल गन्दगी से भरे हैं। हमसे कोई अच्छा काम हो जाये , भगवान् के लिये एक आँसू निकल जाय , महापुरुष के लिये , एक नाम निकल जाय मुख से , अच्छी भावना पैदा हो जाये उसके प्रति हमारी , यह सब गुरु कृपा से हुआ , यही मानना चाहिये। अगर वे सिद्धांत न बताते , हमको अपना प्यार न देते तो हमारी प्रवृत्ति ही क्यों होती। कभी यह न सोचें कि यह मेरा कमाल है। अन्यथा अहंकार पैदा होगा। अहंकार आया दीनता गई। दीनता गई तो भक्ति का महल ढह गया। सारे दोष भर जायेंगे एक सेकण्ड में इसलिये कोई भी भगवत्सम्बन्धी कार्य हो जाय तो उसको यही समझना चाहिये कि गुरु कृपा है , उसी से हो रहा है ताकि अहंकार न होने पाये। अगर गुरु हमको न मिला होता , उसने हमको न समझाया होता , उसने अपना प्यार - दुलार न दिया होता , आत्मीयता न दी होती तो हम ईश्वर की ओर प्रवृत ही नहीं होते। अतः अन्हीं की कृपा से सब अच्छे कार्य हो रहे हैं, ऐसा मानकर चलो।
!! जगद्गुरु श्री कृपालु जी महाप्रभु !!

No comments:

Post a Comment