Monday, March 17, 2014

देखिये ! संसार में चौरासी लाख प्रकार के शरीर हैं उसमें केवल मनुष्य शरीर ऐसा है जिसमें हम साधना के द्वारा दुःखों से छुटकारा पाकर आनंद प्राप्त कर सकते हैं। बहुत बार आप लोगों को बताया गया है कि इसलिये देवता भी इस मानव देह को चाहते हैं । सात अरब आदमियों में सात करोड़ भी ऐसे नहीं हैं जिनके ऊपर भगवान् की ऐसी कृपा हो कि कोई बताने बाला सही - सही ज्ञान करा दे कि क्या करने से तुम्हारे दुःख चले जायेंगे और आनंद मिल जायेगा। और जिन लोगों को ये सौभाग्य प्राप्त हो चुका है , ये जान चुके हैं किसी महापुरुष से वे लोग भी फिर चौरासी लाख का हिसाब बैठा रहे हैं। क्यों ? उत्तर है , लापरवाही ।
----जगद्गुरु श्री कृपालु जी महाराज।

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