Thursday, April 7, 2016

जिज्ञासु जन !

मानव देह दुर्लभ है किन्तु नश्वर है किसी भी क्षण छिन सकता है । अतएव उधार न करो । तत्काल मन से हरि गुरु का स्मरण प्रारंभ कर दो ।
शरीर से संसारी कार्य करो एवं मन का अनुराग हरि गुरु में हो ।

मन हरि में तन जगत में , कर्म योग ये हि जान।
तन हरि में मन जगत में , यह महान अज्ञान ।।


----- सुश्री श्रीधरी दीदी (प्रचारिका), जगद्गुरु श्री कृपालु जी महाराज।

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