Thursday, April 7, 2016

गुरु वन्दना......!!!

हे हमारे जीवन धन! हमारे प्राण! हमारे पथ प्रदर्शक ! हमारे इस विश्वास को दृढ़ कर दो कि तुम सदा सर्वत्र हमारे साथ हो,हमारे साथ ही चल रहे हो,खा रहे हो,बोल रहे हो,हँस रहे हो,खेल रहे हो,हर क्रिया में तुम्हारी ही उपस्थिती का अनुभव हो। तुम्हारा नाम लेकर तुम्हें पुकारें,और तुम सामने आ जाओ। नाम में नामी विध्यमान है इस सिद्धान्त को हमारे मस्तिक्ष में बारंबार भरने वाले! अब इसे क्रियात्मक रूप में हमें अनुभव करवा दो।
हे दयानिधान! नाम में प्रकट होकर कृपा करने वाले कृपालु!
तुमको कोटि-कोटी प्रणाम।


-------सुश्री श्रीधरी दीदी (जगद्गुरु श्री कृपालुजी महाराज की प्रचारिका)।

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