Wednesday, April 22, 2020

श्री राधाकृपाभिलाषी भक्तवृन्द !
जय श्री राधे ।
पूर्णतम पुरुषोत्तम ब्रह्म श्रीकृष्ण की ह्लादिनी शक्ति श्री राधा समस्त श्रुतियों की सारस्वरूपा हैं। समस्त श्रुतियाँ एकांत में श्री राधा की स्तुति करती हैं। किशोरी जी की पूर्ण महिमा का ज्ञान उनकी कृपा से ही जीवों को प्राप्त हो सकता है। श्री राधा की भक्ति के बिना श्री कृष्ण की भक्ति अधूरी है, अपूर्ण है ।
राधा-तत्त्व न होता तो श्रीकृष्ण भी केवल नीरस ब्रह्मस्वरूप ही होते, रसिक शिरोमणि न बन पाते। परमात्मा श्री कृष्ण की भी आत्मा हैं श्री राधा। श्री कृष्ण स्वयं भी उनकी आराधना करते हैं। उमा, रमा, ब्रह्माणी, वाणी इत्यादि सभी महाशक्तियाँ जिनकी दासियाँ हैं वो गौरवर्णी राधा श्यामसुंदर के रस को भी बौना कर देती हैं-
गौर रूप रस ऐसा गोविंद राधे ।
श्याम रूप रस को भी बौना बना दे ।। ( राधा गोविंद गीत )
स्वयं श्यामसुंदर भी किशोरी जी के रूप रस सिंधु में नित्य अवगाहन किया करते हैं। कभी गौर सरकार की आरती करके तो कभी चरण सेवा द्वारा, कभी उनका श्रृंगार करके तो कभी जयजयकार करते हुए अगवानी करके उन्हें रिझाया करते हैं , उनके कृपाकटाक्ष के सदा भिक्षुक बने रहते हैं और उन्हीं से कृपा प्राप्त करके जीवों पर कृपा लुटाया करते हैं ।
ऐसी हमारी सनातन स्वामिनी श्री राधा हम जैसे परम पातकी जीवों के लिए करुणामणि के समान हैं -
परम पातकी की गोविंद राधे ।
करुणामणि राधारानी बता दे ।।
( राधा गोविंद गीत )
हमारी करुणामयी माँ श्यामा वात्सल्य की अगाध सिंधु हैं, महाभावस्वरूपिणी हैं, दिव्य प्रेम रस की सारस्वरूपा हैं, आनंदकंद श्यामसुंदर को भी आनंद प्रदान करने वाली हैं।
वे अत्यंत सुकुमार एवं भोरी भारी हैं, सरलता की साक्षात मूर्ति हैं।
भगवान की सर्वश्रेष्ठ कृपाशक्ति का ही दूसरा नाम हैं राधा जिनके आधीन स्वयं श्यामसुंदर रहते हैं।
ऐसी कृपास्वरूपिणी श्री राधारानी का कृपाकटाक्ष हम सभी को शीघ्रातिशीघ्र प्राप्त हो इसी मंगल कामना के साथ-

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