Saturday, August 12, 2017


हर क्षण यही सोचो कि अगला क्षण मिले न मिले। अतएव भगवद विषय में उधार न करो। संसार में कोई-कोई भाग्यशाली भगवान् की ओर चलते हैं। उनमें भी किसी- किसी भाग्यशाली को कोई वास्तविक संत मिलता है। उनमें भी कोई-कोई भाग्यशाली तत्त्वज्ञान प्राप्त कर लेते हैं। फिर भी एक दोष है जो आगे नहीं बढ़ने देता। उसका नाम है उधार। संसार के काम में तो हम उधार नहीं करते। कहीं राग करना है,कहीं द्वेष करना है,किसी को गाली देना है,किसी का नुकसान करना है,ये सब तो हम बहुत जल्दी कर लेते हैं। लेकिन भगवान संबंधी साधना में उधार कर देते हैं। वेद कहता है- ' अरे कल-कल मत करो,कौन जानता है कि कल न आवे।' इसलिये उधार नहीं करना है ,तुरंत करो।
------ जगद्गुरु श्री कृपालु जी महाराज।

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