Monday, April 10, 2017

जब आज को कल पर टालते ही रहोगे तो उम्र चाहे जितनी हो कभी भगवत भजन प्रारम्भ नही कर सकोगे। बुढापे मे तो अपना शरीर ही सम्भालना मुश्किल हो जाता है। भजन एवं सेवा क्या करोगे ? अगर तुम्हारा भगवतप्राप्ति, भगवत प्रेम ही लक्ष्य है तो फिर देर किस बात की? किसका इन्तजार है? करुणानिधि के समक्ष दीन बनकर एक बार केवल एक बार सच्चे हृदय से कहकर तो देखो। वे सब कुछ दे देंगे।
--- जगद्गुरु श्री कृपालु जी महाराज।

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