Tuesday, April 25, 2017

है नहीं है, नहीं है है गोविन्द राधे ।
नहीं है नहीं है, है है बिरले बता दे ।।

'है, नहीं है' - एक तो ऐसे होते हैं | संसार के बड़े-बड़े वैभव हैं - रूप है, धन है, यश है, माँ-बाप-बेटा-बेटी सब हैं, तो उधर नहीं है । वो भगवान् की ओर नहीं चलेगा, नशे में रहता है । अरे इन सब में एक ही चीज़ हो जाये ज्यादा । बहुत पैसा हो जाये – हांह, मेरे बराबर कौन है! रूप, ब्यूटी कम्पिटीशन (beauty competition) में आ जाये – हांह, मैं ही अप्सरा हूँ! तो जिसका यहाँ पर वैभव है वो भगवान् की ओर नहीं चलता । वो 'है' इसलिये वहाँ 'नहीं है' उधर, परमार्थ ।
'नहिं कोउ अस जन्मा जग माहि, प्रभुता पाई जाहि मद नाहिं'
अरे छोटे-मोटे की कौन कहे, जब बाली को मार दिया राम ने और सुग्रीव को राजा बना दिया, तो कई महीने हो गये । राम ने कहा - लक्ष्मण क्या बात है, सुग्रीव ने सीता की खोज के लिये कुछ काम नहीं किया, वादा किया था उसने ।
उन्होनें कहा - हाँ सरकार, अच्छा जाते हैं, पूछते हैं... लक्ष्मण गये और सुग्रीव ने सत्कार किया, स्वागत किया और ज़रा गुस्से में लक्ष्मण ने कहा - अरे तुमने राम के आज्ञा का पालन नहीं किया! तो वो कहता है - कौन से राम? कौन से राम! अच्छा बताऊँ कौन से राम? तो ऐसे हाथ किया तरकश में बाण निकाल के मैं मारता हूँ तुझको अभी... मेरे भैया ने बाली को मारा, मैं तुझे मारूंगा । अरे अरे! हाँ याद आया, याद आया । ये हाल है संसार के वैभव का ।
तो 'है' जिसके पास तो 'नहीं है' - परमार्थ नहीं बना सकता ।

और 'नहीं है', तो 'है' - जिसके पास संसार नहीं है वो देखो मंदिरों में, बाबाओं के पास, सब जगह बेचारा जाता है । और नम्र भाव रहता है क्योंकि कोई सम्मान तो करता नहीं, कोई पूछता तो है ही नहीं उसको । इसलिये वो मनुष्य बना रहता है, भगवान् की ओर चलता है ।
और 'नहीं है, नहीं है' - ऐसा बहुत कम होता है । यहाँ भी कुछ नहीं है और भगवान् को भी गाली देता है – हाँ देखो तुम्हारा भगवान्.. क्या 'भगवान् भगवान्' करते हो? हमारे एक बच्चा था मर गया और पड़ोसी के सात थे, आठवाँ हो गया । ये क्या भगवान् का न्याय है? ऐसे भी इने-गिने लोग हैं । यहाँ भी नहीं है और वहाँ भी नहीं है ।
और चौथे होते हैं - 'है और है' । ये भी दुर्लभ है ....ये बड़े-बड़े उच्च कोटि के संस्कार वाले, जिन्होंने बहुत पुण्य किया है, बहुत पूर्व जन्म में भक्ति की है -
वे यहाँ भी वैभव में रहता है और वो भी, परमार्थ भी बनाते हैं । ऐसे वीर, बहादुर इने-गिने मनुष्य होते हैं । उच्च कोटि के संस्कार वाले इने-गिने । सब चीज़ हो और उसका अहंकार न हो - अरे ये सब आज है, कल नहीं रहेगा । क्या पता आज रूप का अहंकार है और कल को एक रोग हो गया कैंसर (cancer), छुट्टी । वो ब्यूटी कम्पिटीशन में आनेवाली वो अब कोई गधा भी नहीं पूछेगा । हाँ, आज वो करोड़पति है, कल को शेयर (share) डाउन (down) हो गया, गया । संसार की किसी भी चीज़ का भरोसा नहीं है । आज चार बच्चे हैं – हह, क्या शान है, बाप यों मूछ करता है । छत गिरी, सब मर गये । इस संसार में किसी चीज़ का कोई भरोसा नहीं है । बड़े-बड़े महापुरुषों का भी कितना बुरा हाल हुआ है | इतिहास भरा है ।
तो संसार में ये चार प्रकार के लोग होते हैं । दो प्रकार तो नेचुरैल (natural) है - 'है, नहीं है' और 'नहीं है, है' । और दो प्रकार के लोग बिरले होते हैं - 'नहीं है और नहीं है' और 'है और है' ।
थैंक्यू (Thank you)!!!!
.......जगद्गुरु श्री कृपालुजी महाराज।

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