Monday, July 8, 2013

भगवान् की शरण जाना तब ही सम्भव है जब जीव यह प्रतिज्ञा कर ले कि वह कभी हरि - गुरु के प्रति प्रतिकूल चिंतन नहीं करेगा ।
--------श्री महाराज जी।

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