Tuesday, April 2, 2013

दिव्य प्रेमास्पद का दिव्य प्रेम ही सर्वोत्कृष्ट तत्व है। प्रेम का तात्पर्य 'तत्सुख सुखित्वं' अर्थात प्रेमास्पद के सुख में ही सुख मानना है।
 ***** जगद्गुरु श्री कृपालु जी महाराज*****
दिव्य प्रेमास्पद का दिव्य प्रेम ही सर्वोत्कृष्ट तत्व है। प्रेम का तात्पर्य तत्सुख सुखित्वं अर्थात प्रेमास्पद के सुख में ही सुख मानना है।
!***** जगद्गुरु श्री कृपालु जी महाराज*****!

 

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