Sunday, April 7, 2013

मन को भगवान में लगाने का अभ्यास करो। आदत डालो। सोचो! यही शरीर है अरबपति का,यही शरीर है भिखारी का,वो भिखारी नंगे पाँव चलता है,जाड़े में,गर्मी में,बरसात में,और अरबपति को एयरकंडिशन (aircondition) चाहिये, अभ्यास है अपना-अपना। जैसा अभ्यास कर लो,वैसा बन जाओगे।
..........श्री महाराजजी।
मन को भगवान में लगाने का अभ्यास करो। आदत डालो। सोचो! यही शरीर है अरबपति का,यही शरीर है भिखारी का,वो भिखारी नंगे पाँव चलता है,जाड़े में,गर्मी में,बरसात में,और अरबपति को एयरकंडिशन (aircondition) चाहिये, अभ्यास है अपना-अपना। जैसा अभ्यास कर लो,वैसा बन जाओगे।
 ..........श्री महाराजजी।

 

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